అదయి ౬ శ్లోక ౩౦
Chapter – 6 – Shloka – 30
The Lord explained:
O Arjuna, he who truly sees Me everywhere he looks, sees me in everything. I am always there within his sight and he is also always within my sight.
जो पुरुष सम्पूर्ण भूतों में सबके आत्मरूप मुझ वासुदेव को ही व्यापक देखता है और सम्पूर्ण भूतों को मुझ वासुदेव के अन्तर्गत* देखता है, उसके लिये मैं अदृश्य नहीं होता और वह मेरे लिये अदृश्य नहीं होता ।। ३०
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