అదయి ౧౨ శ్లోక ౯
Chapter – 12 – Shloka – 10
If you are unable to perform the Yoga of constant practice, then be intent on doing your actions for My sake; thus, performing actions for My sake, you will attain perfection.
यदि तू उपर्युक्त्त अभ्यास में भी असमर्थ है तो केवल मेरे लिये कर्म करने के ही परायण हो जा । इस प्रकार मेरे निमित्त कर्मो को करता हुआ भी मेरी प्राप्ति रूप सिद्भि को ही प्राप्त होगा ।। १० ।।
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