అదయి ౮ శ్లోక ౧౪
Chapter – 8 – Shloka – 14
O Arjuna, the Yogi who is established in Me, with his mind constantly fixed on Me, continually remembering Me, can easily attain me.
हे अर्जुन ! जो पुरुष मुझ में अनन्य-चित्त होकर सदा ही निरन्तर मुझ पुरुषोत्तम को स्मरण करता है, उस नित्य-निरन्तर मुझ में युक्त्त हुए योगी के लिये मैं सुलभ हूँ, अर्थात् उसे सहज ही प्राप्त हो जाता हूँ ।। १४ ।।
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