అదయి ౬ శ్లోక ౩౭
Chapter – 6 – Shloka – 37
Arjuna asked the Lord:
Dear Lord Krishna, what becomes of a man who has a firm belief in Yoga and has set foot on the path of Yoga, but allows his mind to deviate or stray from this path which leads to perfection?
अर्जुन बोले — हे श्रीकृष्ण ! जो योग में श्रद्बा रखने वाला है ; किंतु संयमी नहीं है, इस कारण जिसका मन अन्तकाल में योग से विचलित हो गया है, ऐसा साधक योग की सिद्भि को अर्थात् भगवत् साक्षात्कार को न प्राप्त होकर किस गति को प्राप्त होता है ।। ३७ ।।
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