అదయి ౨ శ్లోక ౭
Chapter – 2 – Shloka – 7
Arjuna spoke unto the Lord:
Please, Dear Lord, I am your disciple, kindly guide and instruct me, for I have taken refuge and shelter in you.
I am confused as to my duties and what is good for me.
I beg you to give me knowledge, wisdom and a clear, logical mind.
इसलिये कायरतारूप दोष से उपहत हुए स्वभाववाला तथा धर्म के विषय में मोहित चित्त हुआ मैं आपसे पूछता हूँ कि जो साधन निश्चित कल्याणकारक हो, वह मेरे लिये कहिये ; क्योंकि मैं आपका शिष्य हूँ, इसलिये आपके शरण हुए मुझको शिक्षा दीजिये ।। ७ ।।
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