అదయి ౧౩ శ్లోక ౩౨
Chapter – 13 – Shloka – 32
As the all pervading ether (sky) is not affected, by reasons of subtlety, so the Self (soul) seated in the body is not affected.
जिस प्रकार सर्वत्र व्याप्त आकाश सूक्ष्म होने के कारण लिप्त नहीं होता, वैसे ही देह में सर्वत्र स्थित आत्मा निर्गुण होने के कारण देह के गुणों से लिप्त नहीं होता ।। ३२ ।।
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