అదయి ౧౩ శ్లోక ౨౨
Chapter – 13 – Shloka – 22
The Supreme Soul in this body is also called the spectator, the permitter, the supporter, the enjoyer, the Great Lord and the Supreme Self (Parmatma).
इस देह में स्थित यह आत्मा वास्तव में परमात्मा ही है । वही साक्षी होने से उपद्रष्टा और यथार्थ सम्मति देने वाला होने से अनुमन्ता, सबका धारण-पोषण करने वाला होने से भर्ता, जीव रूप से भोक्त्ता, ब्रह्मा आदि का भी स्वामी होने से महेश्वर और शुद्ध सच्चिदानन्दधन होने से परमात्मा —-ऐसा कहा गया है ।। २२ ।।
The Gita in Sanskrit, Hindi, Gujarati, Marathi, Nepali and English – The Gita.net