అదయి ౧౩ శ్లోక ౧౮
Chapter – 13 – Shloka – 18
Thus the field, knowledge and the knowable have been briefly stated (by Me). My devotee, on knowing this, becomes one with Me.
इस प्रकार क्षेत्र तथा ज्ञान और जानने योग्य परमात्मा का स्वरूप संक्षेप से कहा गया । मेरा भक्त्त इसको तत्व से जानकर मेरे स्वरूप को प्राप्त होता है ।। १८ ।।
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